जालंधर (प्रजातंत्र शक्ति,कशिश): महानगर में दड़े-सट्टे के गोरखधंधे के कारोबार ने एक बड़ा रुप ले लिया है। इतनी सख्ती के बावजूद दड़ा-सट्टा माफिया अपना काम कैसे कर रहे है यह बात पुलिस प्रशासन के ऊपर एक प्रश्न चिन्ह साबित करता है कि क्या ये पुलिस प्रशासन के साथ मिली भगत से चलता है या प्रशासन का ध्यान इस गोरखधंधे की तरफ है ही नहीं। अब देखना होगा कि कुछ दिन पहले ही अफसरों की बदली हुई है अगर दड़े-सट्टे की दुकाने पहले की तरह खुलती रहेंगी तो इससे पता चल जाएगा कि दाल में कुछ काला है।सूत्रों से पता चला है कि दड़े-सट्टा कारोबारियों ने नए अफसरों की बदली होने से अपनी दुकाने गलियों या दूसरी तीसरी मंजिलों में खोल ली है इससे साबित होता है कि अभी दड़े-सट्टे कारोबारियों को अफसरों का डर है सूत्रों से पता चला है कि कई कारोबारी तो अफसरों के साथ सैटिंग करने में लगे हुए है। ताकि उनके इस गोरखधंधे को बढ़ावा दिया जा सके।